हिंदू संस्कृति के अनुसार हर देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा चीजों को उन पर चढ़ाया जाता है, जैसे शंकर भगवान पर बेल पत्री चढ़ाई जाती है, हनुमान जी पर सिंदूर और गणेश जी पर मोदक। वैसे ही शनि देव पर सरसों का तेल चढ़ाया जाता है। हर कथा के पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य होता है, तो चलिए बताते हैं आपको शनि देव पर सरसों का तेल चढ़ाने के पीछे कि कहानी।
एक बार जब हनुमान जी रामसेतु पर बैठ प्रभू श्री राम का भजन कर रहे थे, तब घमंड से भरे शनि देव उनके पास पहुँचे और हनुमान जी से पूछने लगे कि तुम किस की पूजा कर रहे हो। हनुमान जी नें कहा कि वह श्री राम की पूजा कर रहे हैं, इतना सुन कर शनि देव को क्रोध आ गया और उन्होंने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा, और कहा अगर युद्ध में अगर वो हार जाते हैं तो उन्हें शनि देव की पूजा करनी होगी। इतना कह कर वे हनुमान जी की पूजा में विघ्न डालने लगे, इस विघ्न से परेशान हो कर हनुमान जी नें शनि देव को अपनी पूँछ में लपेट लिया और सेतु पर परिक्रमा देने लगे जिसके कारण शनि देव पत्थरों से टकराने लगे और लहूलुहान हो गए और फिर हनुमान जी से माँफी माँगने लगे। हनुमान जी नें उन्हें माँफ कर दिया और उनकी चोटों के उपचार के रुप में सरसों का तेल लगाने की सलह दी।
तब से भक्त भी शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाने लगे और अपनी मनोकामना पूरी करने लगे।