श्राद्ध के बाद पिंडों को प्रेतकुंड मे अर्पित किया गया। पिंडदान करने वाले किन्नरों में मंडलेश्वर देवी भवानी, मंडलेश्वर देवी पवित्रा, दिल्ली से आईं मंडलेश्वर देवी खुशी सिंह, लखनऊ की देवी सुधा तिवारी, देवी ट्विंकल समेत कुल 14 किन्नर शामिल थे। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि आज तक भारत समेत पूरी दुनिया में जितने भी किन्नरों का निधन हुआ है, उनका श्राद्ध और पिंडदान कभी नहीं कराया गया। इसके चलते उनके पूर्वजों की आत्मा धरती पर भटक रही है। यही वजह है कि किन्नर अखाड़े ने ये सामूहिक पिंडदान का फैसला लिया।
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