वह सबसे पहले भेड़िया बनता है और फिर एक कुत्ते के रूप में जन्म लेता है। इसके बाद वह सियार, गिद्ध, सांप, कौआ बनता है। इन सभी जन्मों को भोगने के बाद ही अंत में वह बगुले का जन्म प्राप्त करता है, जिसे समाप्त करने के पश्चात उसे मनुष्य योनि की प्राप्ति होती है।
मनुष्य योनि में रहकर यदि कोई किसी बात चोरी-छिपे सुनता है तो उसे सरीसृप जीव यानि छिपकली का जन्म मिलता है।
जो व्यक्ति अपने बड़े भाई का अपमान करता है, समाज के सामने उसे नीचा दिखाता है, अगले जन्म में वह व्यक्ति एक ‘कौंच’ नाम के पक्षी के रूप में जन्म लेता है। इस जन्म को वह 10 वर्षों तक भोगता है और यदि ईश्वरीय कृपा हो जाए तो ही उसे अगले जन्म में मनुष्य योनि मिलती है।
यदि आप इस जन्म में पाप कर रहे हैं, तो इसका भुगतान भी अगले जन्म में करना होगा। महर्षि व्यास के अनुसार स्वर्ण की चोरी करने वाले व्यक्ति को कीड़े के रूप में जन्म मिलता है। जो व्यक्ति चांदी के सामान की चोरी करता है, वह कबूतर बनता है।
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