श्मशान घाट पर संगीत की चुनौती को नगरवधुओं द्वारा स्वीकार करने के बाद अब यह धीरे-धीरे परंपरा में तब्दील हो गयी। इस बारे में बात करते हुए मुम्बई से आई बार बाला कलि ने बताया कि हमें यहां काफी सम्मान मिलता है साथ ही अबाब के दरबार में नाचने के बाद मन को एक शान्ति मिलती। वासंतिक नवरात्र की इस संध्या में यहां आकर प्रस्तुति देकर हम सभी भगवान् भोलेनाथ से यह प्रार्थना करती हैं कि हमारा अगला जन्म नारकीय न हो। ऐसी मान्यता है कि भगवान् शंकर के इस स्वरुप से जो भी सच्चे मन से मांगा जाए वो पूरा होता है।

1 2 3
No more articles