ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था। ब्रह्मा की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए जब भोलेनाथ पृथ्वी लोक के भ्रमण पर गए तो बदरीनाथ से पांच सौ मीटर की दूरी पर त्रिशूल से ब्रह्मा का सिर जमीन पर गिर गया तभी से यह स्थान ब्रह्मकपाल के रुप में प्रसिद्ध हुआ। शिव जी ने इस स्थान को वरदान दिया कि यहां पर जो व्यक्ति श्राद्ध करेगा उसे प्रेत योनी में नहीं जाना पड़ेगा एवं उनके कई पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिल जाएगी।
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