पैदा होते ही कर देते हैं लड़की के हाथ पीले, अगर जवान होने पर मुकरी तो देना पड़ता है हर्जाना , श्योपुर जिले में बंजारा समाज के पांच गांव ऐसे हैं जहां बच्चों के जन्म लेते ही उनकी शादियां पक्की कर दी जाती हैं। भले ही संबंध पैदा होते ही हो जाए, लेकिन शादियां युवक-युवतियों के बालिग होने के बाद की जाती है। रिश्ता पक्का होने के बाद लड़के या लड़की वालों ने शादी से इंकार किया तो उसे रिश्ता तोड़ने के बदले में 95 हजार रुपए का जुर्माना देना पड़ता है। इससे भी रोचक यह है कि यदि लड़का या लड़की घर से भागे या किसी और से संबंध रखे तो उसे ढाई लाख रुपए तक का दंड भरना पड़ता है।
इन गांवों में जितनों की भी शादियां हुई हैं उनमें से किसी की शादी 3 दिन की उम्र में पक्की हो गई थी, किसी की चार तो किसी की 10 दिन की उम्र में। कई जोड़े ऐसे हैं जिनमें पति अपनी पत्नी से दो दिन बड़ा है या फिर पांच दिन उम्र ज्यादा है। लेकिन किसी कारणवश संबंध तोड़ना होता है तो उसका फैसला पंचायत करती है। पंचायत के सामने ही संबंध तोड़ने वाले हर्जाने के तौर पर दूसरे पक्ष को नगद स्र्पए देता है।
बंजारा समाज के यह पांच गांव रामबाड़ी, भीकापुर, हनुमानखेड़ा, मल्होत्रा और सौभागपुरा हैं। यह गांव करीब चार किलोमीटर के दायरे में सटकर बसे हैं और जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर हैं। बंजारा समाज के युवक-युवतियों की शादी इन पांच गांवों में ही होती है। इन गांवों का बेटा या बेटी का संबंध इन पांच गांवों से बाहर कहीं नहीं किया जाता। इसलिए हर परिवार को पता रहता है कि किसके यहां कितने बच्चे है। किसके यहां कब बच्चा पैदा होने वाला है।