बचपन में अक्सर पापा सभी भाई बहनों के एक ही जैसे कपड़े खरीद कर ले आते थे। उस समय बच्चे होते थे तो कुछ ज़्यादा सोचते नहीं थे बस पहन लेते थे। लेकिन ज़रा सोचिए अगर आज आप अपने भाई बहनों के साथ एक ही कैसे कपड़े पहन कर कहीं निकल जाएँ तो आपका मज़ाक बनना तय है। लेकिन एक गाँव ऐसा भी जहां सारे युवक-युवतियों को एक ही जैसे कपड़े पहने घूमते हुए आप देख सकते है।
दारसल बांसवाड़ा जिले के आदिवासी युवाओं में ऐसा चलन है। ये युवक-युवतियां होली पर्व पर खेले जाने वाले परंपरागत नृत्य गेर में शामिल होने के लिए एक जैसे कपड़े पहनते हैं। इतना ही नहीं ये इन कपड़ों को पहनकर बाजार भी जाते हैं।
इन युवक-युवतियों के एक जैसे कपड़े पहनने को लेकर कोई परंपरा व रिवाज नहीं बल्कि एकता का प्रतीक है। युवक-युवतियों में यह चलन पिछले कुछ वर्षों से ही पनपा है। युवक-युवती एक जैसी पोशाक इसलिए पहनते हैं ताकि वह एक जैसे दिखें।