जर्मनी के रियूगेन आइलैंड में बाल्टिक सागर के किनारे बना नाजी होटल अब लग्जरी रिजॉर्ट और अपार्टमेंट में तब्दील हो गया है। इसे लोगों के लिए खोल भी दिया गया है। हालांकि, ये जानकर आपको हैरानी होगी कि 10 हजार कमरे वाले इस प्रोरा नाम के होटल में अब तक कोई गेस्ट नहीं ठहरा। हालांकि बाकी कई कामों में ये इस्तेमाल हुआ। बर्लिन की फर्म मेट्रोपोल ने इसे लिया है। फर्म ने इस होटल को फाइव स्टार फ्लैट्स, स्पा और रिजॉर्ट में तब्दील किया है। इसमें बने लग्जरी से 95 फीसदी अपार्टमेंट्स पूरी तरह बनने से पहले ही बिक चुके हैं।

इसके लग्जरी अपार्टमेंट के आठ ब्लॉक ओपन भी हो गए हैं, जबकि बाकी अभी खुलने की तैयारी में हैं। साथ ही इसमें बना स्पा रिजॉर्ट और ट्रेंडी रेस्टोरेंट्स पहले हॉलिडे मेकर्स के लिए तैयार है।  इस होटल को 1936 से 1939 के बीच में नाजियों ने हॉलिडे कैम्प और होटल के तौर पर बनवाया था। इस होटल को बनवाने के पीछे उनका मकसद यहां जर्मन वर्कर्स को खाली वक्त बिताने का मौका देना था।

इस बहाने नाजी अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार भी करना चाहते थे। इस प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन में देश की सभी बड़ी कंपनियां शामिल थीं। करीब 9 हजार मजदूरों ने इस पर काम किया था। सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान प्रोरा का कंस्ट्रक्शन रोक सभी मजदूरों को हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों में भेज दिया गया था और ये प्रोजेक्ट पूरा ही नहीं हो सका। बेहतरीन लोकेशन पर होने के साथ ही इसके सभी कमरों से समुद्र का नजारा दिखता है, लेकिन बावजूद इसके यहां कभी कोई मेहमान नहीं पहुंचा।

इस कॉम्प्लेक्स में आठ अलग-अलग इमारतें हैं, जो करीब साढ़े चार किमी की दूरी में फैली हैं। बीच से इसकी दूरी 150 मीटर है। आठ हाउसिंग ब्लॉक के साथ ही थियेटर, सिनेमा, स्विमिंग पूल और फेस्टिवल हॉल हमेशा खाली ही रहे। युद्ध के दौरान हैम्बर्ग के कई लोग यहां के ब्लॉक्स में रुक गए थे। युद्ध के बाद प्रोरा को ईस्ट जर्मन आर्मी ने मिलिट्री आउटपोस्ट की तरह इस्तेमाल किया। 1990 में जर्मनी के एकीकरण के बाद से ये इमारतें खाली हैं।

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