दीपावली से पहले होती है कार्तिक कृष्ण द्वादशी, जानिए कैसे करें पूजा ।दीपावली के आने से पहले कार्तिक कृष्ण द्वादशी होती है । कार्तिक कृष्ण द्वादशी को गो वत्स द्वादशी के नाम से जाना जाता है । गो वत्स द्वादशी के दिन गो धूली बेला में गऊओं की पूजा की जाती है । विशेष कर जिन महिलाओं के पुत्र होते है वे सारा दिन निराहार रहती हैं । संध्या के समय घर के आंगन को लीप कर चौक पूरती हैं । उसी चौक में गाय खड़ी करके चंदन अक्षत, धूप, दीप, नैवैद्य आदि से विधिवत पूजा की जाती है । इस व्रत के पूजन में धान या चावल वर्जनीय हैं । काकून के चावल से पूजा होती है और उसी से मंत्राक्षत दिया जाता है ।
इस दिन चने की दाल के भोजन का महत्व है । गेहूं और धान के अतिरिक्त गाय का दूध भी व्रत वालों को खाना वर्जित है यह व्रत कार्तिक, माघ व वैशाख और श्रावण महीनों की कृष्ण द्वादशी को होता है । कार्तिक में वत्स वंश की पूजा का विधान है । इस दिन के लिए मूंग, मोठ तथा बाजरा अंकुरित करके मध्यान्ह के समय बछड़े को सजाने का विशेष विधान होता है । व्रत करने वाले व्यक्ति को भी इस दिन उक्त अन्न ही खाने पड़ते हैं । ऐसी मान्यता है कि इस दिन पहली बार श्री कृष्ण वन में गऊएं-बछड़े चराने गए थे ।
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