माता यशोदा ने श्री कृष्ण का शृंगार करके गोचारण के लिए तैयार किया था । पूजा-पाठ के बाद गोपाल ने बछड़े खोल दिए । यशोदा ने बलराम जी से कहा कि बछड़ों को चराने दूर मत जाना और कान्हा को अकेला मत छोडऩा, देखना यमुना के किनारे अकेला न जाए । गोपालों द्वारा गोवत्संचारण की पुण्यतिथि को इसीलिए पर्व के रूप में मनाया जाता है । यह पर्व पुत्र की मंगल-कामना के लिए किया जाता है । इसे पुत्रवती स्त्रियां करती हैं । इस पर्व पर गीली मिट्टी की गाय, बछड़ा, बाघ तथा बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाट पर रखी जाती हैं तब उनकी विधिवत पूजा की जाती है ।
1 2