कहते हैं भगवान शिव जिस पर प्रसन्न हो जाए उसका भाग्य बदलने से कोई नहीं रोक सकता। भोले भण्डारी को मनाना सभी देवी देवतावों में सबसे सरल है। इनकी पूजा अर्चना के लिए कुछ ज़्यादा करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि भगवान बस एक बेल पत्र और जल से ही संतुष्ट हो जाते हैं।
और आपको मुंह मांगा वरदान दे देते हैं तभी तो भगवान शंकर को भोले बाबा कहते हैं।
भगवान भोलेनाथ के स्मरण मात्र से ही सबका कल्याण हो जाता है और जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं
पुराणों के अनुसार सावन के सोलह सोमवारो में भगवान शिव का स्मरण, मनन, चिंतन, पूजन, तप, व्रत-उपवास, रुद्राभिषेक, कवच का पाठ आदि करना बहुत ही फलदायी माना जाता है।
शिव का अर्थ ही पाप का नाश करने वाला और शांति देने वाला है
शिवपुराण में शिव के पांच कार्य- सृष्टि, स्थिति, नाश, तिरोभाव और मोक्ष हैं। शिव को पंचमुख इसी कारण कहा जाता है। सावन महीने का प्रत्येक सोमवार अति महत्वपूर्ण होता है। सावन मास के सोमवारों में भगवान शिव के व्रत, पूजा और आरती करने का विशेष महत्व है।
सावन महीने में ही कांवड़ लेकर हजारों कांवडीये गंगा नदी से जल लेकर भगवान शिव पर चढ़ाते है। सावन में ही हरियाली तीज, रक्षाबंधन, नागपंचमी आदि प्रमुख त्योहार आते हैं। कहते हैं सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था और उससे निकला विष भगवान शंकर ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था तभी से सावन के महीने में शिव को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं।
सावन मास में भगवान शंकर की पूजा उनके परिवार के सदस्यों विशेषकर गणेश को प्रसन्न करने के लिए करनी चाहिए।