मिनांग लोग वास्तव में जीववादी थे और प्रकृति की हर चीज की पूजा करते थे। यह तब तक रहा जब तक यहां भारत से हिन्दू और बुद्ध धर्म नहीं पहुंचा। इसके बाद आज भी इनकी संस्कृति स्थानीय परंपराओं, मान्यताओं और कानूनों पर निर्भर है जो कि हिन्दू और जीववादी सिस्टम से प्रेरित हैं। इनमें पवांग होते हैं जो अत्माओं के एक्सपर्ट होते हैं और बीमारियों के इलाज के अलावा भविष्य बताते हैं। इन सब के अलावा मिनांग इस्लाम को भी मानते हैं।
यहां की परंपराएं भी दुनिया से अलग हैं। यहां शादी के बाद पत्नी, पति के घर नहीं बल्कि पति उसकी पत्नी के घर आता है। दहेज का आंकलन दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हें की शिक्षा के आधार पर किया जाता है। शादी इस समाज में बड़ा आयोजन होता है। इसमें दूल्हे को उसके घर लेकर दुल्हन के यहां ले जाया जाता है जहां रस्में पूरी होती हैं।