इस आर्ट फेस्टिवल के लोगों ने ही यहां के लोगों के लिए उनकी गलियों में साहित्य की किताबों को इकट्ठा किया तो वो बहती हुई नदी की तरह दिखने लगी थी।
वहां मौजूद लोगों की मानें तो वाकई ऐसा नजारा किताबों की नदी और उसमें आ रही बाढ़ जैसा लग रहा था किताबों के इस नदी की वजह से टोरंटो की ये जगह प्रदूषण और अशांति से एक दिन के लिए बिल्कुल मुक्त रहीं, क्योंकि यहां पर हर जगह सिर्फ और सिर्फ किताबें ही किताबें थी।
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