इस कानून का जापान में भी काफी विरोध हो रहा है। इस कानून से लैंगिक भेदभाव बढ़ने की बात कही जा रही है। 2015 में हुए एक सर्वे का कहना था कि जापान में 70 फीसदी विवाहित महिलाएं नौकरी में अपने नाम के पीछे अपने पति की जाति लिखती हैं। यह सर्वे 20 से 50 साल की उम्र की 1,000 महिलाओं पर किया गया था। 19वीं सदी का यह कानून 1868-1912 के बीच लागू किया गया था। उस वक्त महिलाओं के लिए शादी के बाद माता-पिता का घर छोड़ना अनिवार्य था।
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