एक पुत्री को छोड़कर सबका विवाह हो चुका है। अब बुढ़ापे का सहारे के लिए केसरदेवी से नाता विवाह कर लिया है। फिर केसरदेवी ने बताया मेरे पति व पुत्र की मौत के बाद अकेले जीवन यापन कर रही हूं। आगे के जीवन के लिए सामाजिक रीति रिवाज के अनुरुप नाता विवाह कर लिया है। जब जीवन में भागम-भाग की दौड़ में परिवार में एक-दूजे के लिए समय ही नहीं हो तो जीवन साथी की कमी खलना और अधिक प्रासंगिक हो जाता है। जीवन के बीच पति व पुत्र साथ छोड़ जाए तो उस अकेलेपन की कल्पना खासी दुखदायक होती है। ऐसे में फिर जीवन में सुकून तलाशने केसरदेवी(55) एवं रामेश्वरलाल(56) एक दूजे का हाथ थाम हमसफर बने।
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