आइएसआइएस का आतंक बढऩे के बाद यहां रोज होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हो गई है। ये कब्रिस्तान इतना फेमस और विशालकाय हो गया है कि हर साल लाखों लोग सिर्फ इस कब्रिस्तान को ही देखने आते हैं।

इस कब्रिस्तान में मकबरा भी बना हुआ है। आइएसआइएस से मुकाबला होने से पहले लड़ाके यहां जरूर आते हैं। ये लोग मन्नत मांगते हैं कि अगर जंग में उनकी मौत हो जाए तो उन्हें यहीं दफनाया जाए। दुनियाभर के शिया अपनों को दफनाने के लिए यही जगह पसंद करते हैं। इन कब्रों को ईंटों, प्लास्टर और कैलिग्राफी से सजाया जाता है। कुछ कब्रों से उसमें दफन शख्स की हैसियत का भी पता चलता है।

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