स्थानीय निवासी मनोज रसिया ने कहा कि पहले की बात और होगी लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक इन दिनों गोबर और घास में पलने वाले सक्रबटायफस जैसे बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं जो बच्चों के लिये तो जानलेवा भी हो सकता है इसलिये परंपराएं अपनी जगह रहे लेकिन जानबूझकर बच्चों को बीमारियों के हवाले करने के तौर तरीके बदलने की जरूरत है।

डॉ.राजेंद्र देशमुख शिशु रोग विशेषज्ञ, बैतूल ने बताया कि परंपराओं के नाम पर अंधविश्वास के और भी कई मामले हैं जिनमें से ये भी एक है। तमाम दावों के बावजूद प्रशासन आज भी ऐसी अन्धविश्वास परंपराओं पर अंकुश नहीं लगा पाया है जिससे आने वाली पीढ़ी भी शिक्षित होने के बावजूद इन परंपराओं से अछूती नहीं रह सकेगी।

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