पत्र में यह भी बताया गया है कि ‘फूड भले ही फ्री में खरीदा और वितरित किया जा रहा हो मगर कानून इस पर भी लागू होता है। टीटीडी को भी एफबीओ के लिए निर्धारित किए गए मानदंडों को पूरा करना होगा। यह एफएसएस एक्ट के सेक्शन 23 के आधार पर काम करता है।’
यह कदम बेंगलुरू के रहने वाले टी.नरसिम्हामूर्ति के द्वारा लगाई गई आरटीआई के आधार पर उठाया गया है। इसमें पूछा गया था कि ‘लड्डू’ बनाने वाली टीटीडी के पास एफएसएसएआई लाइसेंस है या नहीं? इस बारे में एफएसएसएआई में शिकायत भी की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि, ”लड्डू’ गंदे तरीके से बनाए जा रहे है। ‘लड्डू’ बनाने की हर प्रक्रिया में कमी दिख रही है। जैसे मैन्यूफेक्चर, स्टोरेज, वितरण और बिक्री आदि। यहां तक कि लड्डू में बोल्ट्स, नट्स, कीचेन और गुटखा पाउच जैसी चीजें मिल रही हैं।’
शिकायतकर्ता के अनुसार ‘एफएसएसएआई एक्ट के अंतर्गत महाराज की स्वास्थ्य स्थिति की नियमित रिपोर्ट हेल्थ ऑफिसर के पास जाना चाहिए। इसमें फिटनेस प्रमाणपत्र भी साथ होना चाहिए। प्रोडक्ट की पैकिंग पर इसमें इस्तेमाल की गई चीजों के साथ ही मैन्यूफेक्चर और एक्सपायरी डेट का उल्लेख भी होना चाहिए।’
शिकायत के बाद जॉइंट फूड कंट्रोलर, फूड इंस्पेक्टर और बाकी अधिकारियों ने टीटीडी के जॉइंट एक्जीक्यूटिव ऑफिसर से संपर्क किया। साथ ही ‘पोटू’ (कीचन) जहां लड्डू बनते है, उसका निरीक्षण करने की इच्छा जाहिर की।हालांकि इसकी अनुमति नहीं मिली क्योंकि ‘पोटू’ एक ‘मंगल स्थान’ माना जाता है, जहां पर बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता।