पेशे से एक सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश चांडी श्मशान घाट में ही सालगिरह को मनाने को लेकर कहते हैं कि आजकल गार्डन श्मशान जैसे लगते हैं और श्मशान गार्डन जैसे। इस श्मशान में रोजाना बच्चे खेलने आते हैं। आमतौर पर ऐसी जगहों पर लोग आने से डरते हैं। ऐसे में लोगों के मन से डर को निकालने के लिए उन्होंने श्मशान का मुख्य द्वार फूलों से सजाया, पार्टी प्लॉट की तरह लाइटें लगवाई। अब यह श्मशान किसी सार्वजनिक स्थल की तरह बन गया है।

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