दरअसल ‘जब मिथुन 5 साल का था, तब उसकी तबीयत खराब हो गई थी। एक स्थानीय डॉक्टर ने जो दवाइयां बताई थी, उन्हें लेने के बाद से ही मिथुन के शरीर पर ये गांठें उभरने लगी थी।उस दिन के बाद से यह पूरे शरीर पर फैलते गये। शुरुआत में मिथुन के पिता रामजी और उनके पड़ोसी इसे ऊपर वाले का अभिशाप मान कर उसके इलाज के लिए अनेक कर्मकांड करने लगे थे। एक दिन किसी ने उन्हें डॉक्टर अश्विनी दाश के पास भेजा, उन्होंने बताया कि मिथुन Neurobroma नामक जेनेटिक डिसऑर्डर से प्रभावित है। इस बीमारी में गांठें शरीर की नसों के साथ बढ़ती हैं।