इस अजीबोगरीब पंथ का नाम है ‘साइंटोलॉजी’ जो सबसे अलग है। 1955 में ‘एल. रॉन हबॉर्ड’ ने साइंटोलॉजी की खोज की थी। इसे तकनीकी कह लीजिए, विज्ञान या फिर धर्म लेकिन साइंटोलॉजी का अनुसरण करने से व्यक्ति अपनी आए दिन की परेशानियों से मुक्ति पा लेता है। उसे ना तो नौकरी की फिक्र सताती है, ना बच्चों की और सफलता और असफलता के भेद से भी वह मुक्त हो जाता है।
सबसे अहम बात ये है कि और धर्मों और पंथों से अलग इस पंथ में सेक्स और शैतान की उपासना के बारे में बताया जाता है। इस पंथ के मानने वाले लोग ईश्वर में आस्था को दरकिनार करते हैं और व्यवहारिक तौर पर पूरी तरह से आज़ाद होते हैं। वह किसी के भी साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार रहते हैं आज़ाद होते हैं।
साइंटोलॉजी में 30 साल तक के लोगों को शामिल किया जाता है। जिन बच्चों को साइंटोलॉजी की शिक्षा के लिए भेजा जाता है उन्हें एक मिलिट्री बूटकैंप की तरह रहना पड़ता है। जहां ई-मीटर के जरिए उनके शरीर में बहुत ही हल्का बिजली का करंट दौड़ाया जाता है और फिर उनसे पुछा जाता है कि क्या आपको लगता है कि आप बड़े होकर पागल हो सकते हैं? क्या आपका कोई सीक्रेट है? क्या आपने कभी जासूसी की है? क्या आपको कोई पागल लगता है? क्या आपको अपने मां-बाप पर कभी शर्म आई, जैसे अजीबोगरीब सवाल पूछे जाते हैं।