फतवा में साफ किया गया है कि पुरुषों के लक्षण वाले किन्नर और स्त्री लक्षणों वाले किन्नर में अगर शादी होती है, तो कुछ भी गलत नहीं है। पुरुषों के लक्षण वाला किन्नर यदि किसी स्वस्थ महिला से भी शादी करना चाहे तो वह कर सकता है। फतवा स्त्री और पुरुष, दोनों के लक्षणों वाले किन्नर की शादी को सही नहीं मानता और उसकी मुखालफत करता है। फतवे में किन्नर को उसके परिवार द्वारा अधिकारों और संपत्ति से वंचित किए जाने को गलत बताया गया है।

विद्वानों ने इस सिलसिले में सरकार से परिवारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विद्वानों ने किन्नरों के प्रति सामाजिक व्यवहार बदले जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया है। उन्हें किसी तरह के अपमानजनक शब्दों से न पुकारे जाने या उनको लेकर गलत बातें न कहने की विद्वानों ने जनसामान्य से अपील की। विद्वानों ने किन्नरों का अंतिम संस्कार भी किसी सामान्य मुस्लिम स्त्री या पुरुष की भांति ही करने की व्यवस्था दी।

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