दरअसल इस गौशाला में रहने वाली गायों को सुबह और शाम दोनों समय धार्मिक संगीत सुनाया जाता है। लोगों का मानना है कि जब से यह व्यवस्था शुरू की गयी है तब से यहां की गायें ज़्यादा दूध देने लगी हैं। इस गोशाला का नाम गोपाल गोशाला है। गोशाला के परिसर में गायों के लिए म्युज़िक सिस्टम और दर्ज़नों स्पीकर्स की व्यवस्था की गई है।
आपको बता दें कि इस व्यवस्था से पहले इस गोशाला में रोज़ 150 क्विंटल दूध का उत्पादन होता था। म्युज़िक सिस्टम लगाने के बाद से ही दूध का उत्पादन बढ़ कर 165-170 क्विंटल तक पहुंच गया है। गोशाला को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए गायों के गोबर के कंडे बना कर भी बेचे जाते हैं। केवल दिवाली के मौके पर ही यहां से 10 हज़ार रुपये के कंडे बेचे गये थे।
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