सपना बताती है कि उसके पति उदयप्रताप तोमर का उसके काम में पूरा सहयोग रहता है। वह आगे बताती है कि उसके ससुराल गुंगावली गांव में पहले शौचालय नहीं था। एक बार स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को जागरुक बनाने के लिए प्रेरकों की नियुक्ति की जा रही थी, वहां सपना भी पहुंच गई। टास्क के तौर पर सपना को 7 दिन में गांव के लोगों को टॉयलेट बनवाने के लिए राजी करवाना था। सपना 7 दिन में गांव के 62 लोगों की सहमति लेकर आई पर खुद नंगे पैर थी।
सपना ने अपने काम के जरिए सबको प्रभावित किया, उनमें पिपरौली पंचायत सीईओ प्रवीण सिंह भी थे। जब प्रवीण सिंह ने सपना से नंगे पैर रहने की वजह पूछी तो उसने कहा कि, जब तक वह गांव को खुले में शौच से मुक्त नहीं करा देगी, तब तक नंगे-पैर ही घूमेगी।
यह सपना के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज उनके गांव में 150 से ज्यादा घरों में टॉयलेट बन गए हैं। उसके बावजूद भी जब वो घरों में जाकर टॉयलेट के बारे में बात करती हैं तो लोग उन्हें भगा भी देते हैं।