मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले समूह ने लिखा, ‘इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी। उन्हें उनकी गर्दनों में फंदा डाले जाने तक यह भी नहीं पता होता था कि वह कैसे और कब मरने वाले हैं’। पीड़ितों में अधिकतर आम नागरिक थे, जिनके बारे में ऐसा माना जाता था कि वे राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सरकार के विरोधी थे।

फांसी के गवाह रहे एक पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘वे उन्हें 10 से 15 मिनट तक फांसी पर लटकाए रखते थे’। एमनेस्टी ने इसे युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध बताया है।

एमनेस्टी ने सीरिया सरकार पर बंदियों का बार-बार उत्पीड़न करके और उन्हें भोजन, पानी एवं चिकित्सकीय देखभाल से वंचित रखके ‘तबाही की नीति’ अपनाने का आरोप लगाया।

समूह ने पहले कहा था कि मार्च 2011 से देश में उत्पन्न हुए संघर्ष के बाद से करीब 17,700 लोग सीरिया में सरकार की हिरासत में मारे गए।

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