जब इस मामले की भनक प्रशासन को लगी तो उसने इन्हें बाल सुरक्षा गृह में रखा और अभिभावकों के खिलाफ बाल विवाह उन्मूलन कानून के तहत केस दर्ज किया है। उधर अभिभावकों का कहना है कि वह तो सिर्फ परंपरा का पालन कर रहे थे और भले ही कानून इससे सहमत न हो लेकिन वह मानते हैं कि ऐसा करना सही है।
दुल्हन के पिता रमेश शर्मा का कहना है कि अपने बच्चे की भलाई करने के लिए उन्हें सज़ा दी जा रही है। वह कहते हैं ‘हम तो हिंदू परंपरा का पालन कर रहे थे और आप हमें मंदिर से यहां पुलिस थाने ले आए।’
बाल अधिकार आयोग के सदस्य अच्युत राव का कहना है कि इसके पीछे की वजह गरीबी नहीं अंधविश्वास है। उन्होंने कहा ‘लड़की बालिग भी नहीं है लेकिन उन्हें लगता है कि इस शादी से समृद्धि आएगी।’