पिछले कुछ सालों में आउटसोर्सिंग के जरिए काम कराने का चलन बढ़ा है। खासकर हाउस कीपिंग और सिक्योरिटी का काम तो लगभग हर कंपनी ने आउटसोर्स किया हुआ है। हर कंपनी में कई-कई कॉन्ट्रैक्टर्स काम कर रहे हैं और कॉन्ट्रैक्टर्स अपने वर्कर्स को अब तक कैश से सैलरी देते रहे हैं। ये कॉन्ट्रैक्टर्स मिनिमम वेजेज के नियम की पालना नहीं करते हैं और वर्कर्स को मिनिमम वेजेस तक नहीं देते हैं, इसलिए कैश में पेमेंट की जाती है। कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए दिसंबर माह की सैलरी देना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। ऐसे में कॉन्ट्रैक्टर्स जितना हो सके, उतने…कैश का इंतजाम कर रहे हैं। इसके अलावा रोल (रजिस्टर्ड) पर तैनात कर्मचारियों की सैलरी तो अकाउंट में ट्रांसफर की जाएगी, जबकि बाकी कर्मचारियों की सैलरी कैश में थोड़ी-थोड़ी दी जाएगी। इतना ही नहीं, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट लेबर से काम कराया जाता है, जिसके लिए भी कॉन्ट्रैक्टर्स ने लेबर को अकाउंट खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं। कई जगह छंटनी का काम भी शुरू हो गया है, जो बेहद चिंता का विषय है।
इसमें कोई शक नहीं कि प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ केंद्र व राज्य कर्मचारियों को भी नोट बंदी के बाद के आई कैश की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि केंद्र सरकार एक रास्ता निकाला है। सरकार ने अपने एक आदेश में कहा है कि 23 नवंबर के बाद कर्मचारी अपने विभाग या मंत्रालय से 10 हजार रुपए एडवांस सैलरी के तौर पर ले सकते हैं, जो नवंबर माह की सैलरी से डिडक्ट कर दी जाएगी