अब फिर कुछ जमीन की दरकार हुई, तो बची आधा बीघा जमीन भी मंदिर के नाम पर दान कर दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय ने यह जमीन स्वेच्छा से दी है, उन पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला गया। गांव के उपसरपंच मोहम्मद इसहाक का कहना है कि यह जमीन 50-60 साल से बेकार पड़ी थी।

जब हमें पता चला कि जाट समुदाय यहां मंदिर बनाना चाहता है तो हमने जमीन दे दी। जाट समुदाय ने भी मुस्लिम समुदाय के लोगों का पूरा ख्याल रखा और मंदिर के उद्घाटन के मौके पर पूरे मुस्लिम समुदाय का सार्वजनिक अभिनंदन किया गया।

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