मच्छर मारने वाले रेप्लेंट के कारोबारी साने भाई कहते हैं कि इस साल अगस्त सितंबर में रुक-रुककर हो रही बारिश से मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। रेप्लेंट के एक डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि अगस्त-सितंबर में एक करोड़ रुपए का कारोबार होता था। इस साल दो महीने में कारोबार चार करोड़ पार कर गया है। कारोबारी कहते हैं कि सुरक्षित रहने का रेप्लेंट ही एकमात्र सहारा है। डेंगू का खौफ कम होने तक रेपेलेंटर की बिक्री इसी प्रकार जारी रहेगी।
शहर में मच्छर मारने व भगाने वाले रेप्लेंट और ग्रामीण क्षेत्र में लोग मच्छरदानी लगाकर डेंगू से बचना चाहते हैं। महामारी के प्रति जागरूक ग्रामीण जमकर मच्छरदानी की खरीदारी कर रहे हैं। व्यापारी नेता अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि अनब्रांडेड मच्छरदानी की सालाना पांच फीसदी वृद्धि होती थी। इस साल दुकानों पर मच्छरदानी खरीदने वालों की भीड़ लगी है।