मेरी कॉम ने लिखा “याद रखो मेरे बेटों, तुम्हारी तरह हमारी भी दो आँखें हैं, एक नाक है, हमारे जिस्म के हिस्से तुम से कुछ अलग ज़रूर हैं, बस यही सिर्फ इतना सा फ़र्क़ है हमारे तुम्हारे बीच। मर्दों की तरह हम भी सोचने के लिए दिमाग का सहारा लेते है। भावनाओं का अहसास करने के लिए दिल का सहारा लेते हैं। हमारी ये नियति नहीं है कि कोई हमारे सीने या नितम्ब पर हाथ लगाए।” अपने बेटों को उन्होंने यह भी कहा कि यह मायने नहीं रखता कि महिलाएं क्या पहने या कब घर से बाहर निकलें क्योंकि यह दुनिया उतनी ही महिलाओं की है जितनी मर्दों की।
मुझे गर्व है कि मैं राज्यसभा सांसद हूं। मेरे लिए यह बेहतरीन अवसर है कि मैं यौन हमलों को लेकर लोगों का जागरुक करूं। रेप और सेक्स की अलग-अलग परिभाषाएं हैं। अगर इसका फर्क मैं तुम्हें नहीं समझा पाई तो मैं एक मां के रूप में असफल औरत जानी जाऊंगी।
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