आरिफ ने रात में ही विदेश में रह रहे जावेद को फोन लगाया और अगले दिन की फ्लाइट पकड़कर पटना आने कहा। आरिफ की शादी की तीसरी शाम थी जिस दिन घर पर निकाह की खुशी में रिसेप्शन यानी वलीमा के दौरान जावेद पटना पहुंच गया। शफीना को लेकर आरिफ सीधे जावेद के पास गया और उन्हें उनकी अमानत सौंप कर घर लौट आया।
इसके बाद आरिफ ने घर वालों को पूरा मामला बता दिया। शफीना के मां-बाप को बेटी की मर्जी के खिलाफ निकाह कराने के लिए उन्होंने खूब कोसा। आरिफ के घर वाले बेटे के साहसिक फैसले के कारण अपने घर में मातम नहीं मनाना चाहते थे। इसलिए आरिफ की ही एक दूर की रिश्तेदार और आरिफ की रजामंदी से शफीना और जावेद का निकाह उसी दावत में करा दिया गया।