उनकी अंतिम यात्रा में 40 से भी अधिक मुस्लिम युवक थे। कदम की पत्नी वितावा बताती हैं, ‘मेरे पति ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी अंतिम यात्रा इतने सम्मान के साथ निकलेगी। वे हमारे बड़े हमदर्द बने। जब वे बच्चे थे तभी से हम उन्हे जानते है लेकिन अब उन्होंने बड़े होने की जिम्मेदारी भी निभाई है।