जानिए कोलकाता की दुर्गा पूजा की विशेषताएं

जानिए कोलकाता की दुर्गा पूजा की विशेषताएं

ढाक ढोल की ध्वनी

सबसे खास बात होती है कि 9 दिन तक आपके अपने घर में मां के पंडालों के बाहर ढाक ढोल की आवाजें सुनाई देती है। धूप-धूना से आरती होती है और तरह तरह के फूल से पंडालों को सजाया जाता है।

विजया दशमी, सिदूर खेला

बंगाल में पूजा के दौरान दशमी के दिन का ये दृश्य देखने के लिए लोग दूर दूर से अलग-अलग शहरों से आते हैं। विजया दशमी के दिन मां के पंडाल में बहुत भीड़ होती है। मां को विदा देने का जो दर्द दिल में होता है उसके साथ-साथ सभी मां को उमंग और उत्साह के साथ अलविदा कहते हैं। शादी-शुदा औरतें लाल साड़ी पहनकर माथे में सिंदूर लगाकर पंडालों में पहुंचती है और मां को उलू ध्वनी के साथ विदा देती हैं। एक दूसरे को गुलाला लगाती हैं और सिंदूर खेला खेलती हैं। बड़ों का अाशीर्वाद लेती हैं और नम आंखों से मां के अगले साल का इंतजार करती हैं।

 

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