कंपनी पिछले डेढ़ साल से मुनाफे की बजाय घाटे में चल रही थी। दूध से निकलने वाली क्रीम, दही, मावा, पनीर आदि औसत के हिसाब से कम निकल रहे थे। अलग-अलग करके जब दूध का सैंपल लिया गया तो अरविंद और विशंबर की कारगुजारी सामने आई।
कंटेनर में एक हजार लीटर साइज का एक टैंक व 4 हजार लीटर का दूसरा टैंक बना हुआ था। दूध केवल एक हजार लीटर वाले टैंक में ही भरा था, जबकि 4 हजार लीटर पानी था।