देवती कर्मा बताती हैं कि उनका मायका फूलनार है। कम उम्र में ही पिता की मौत हो जाने से उन पर घर की जिम्मेदारी आ गई थी। तब मां के साथ खेती-किसानी में बराबर जिम्मेदारी निभाती रही।करीब 45 साल पहले उनका विवाह फरसपाल के महेंद्र कर्मा से हुआ तो ससुराल में आकर भी वे पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ खेत में अपना समय देती रहीं।
कर्मा पहले किसान पुत्र थे लेकिन बाद में राजनीति में व्यस्त हो गए तो खेती का काम उन्हें ही संभालना होता था। महेंद्र कर्मा के शहीद होने के बाद क्षेत्र की भलाई के लिए राजनीति में उतरी हैं। यहां परिवार के साथ क्षेत्रीय जनता और अन्य नेताओं का सहयोग मिल रहा है।
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