मोरो कहते हैं कि नए संस्करण उद्घोषणा की गई है, जिसमें कहा गया है कि यह गांधी परिवार की ‘कल्पनाशीलता’ पर आधारिता है। राजीव गांधी की सोनिया से मुलाकात कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई थी। मगर, वह वास्तव में कैम्ब्रिज में अध्ययन नहीं करती थीं। वह बस उनसे वहां मिली थीं। एक प्रतिभाशाली डांसर सोनिया को अंग्रेजी सीखने के लिए उनके माता-पिता ने इंग्लैंड भेजा था।

किताब में इस बारे में चर्चा की गई है कि 1977 में इंदिरा गांधी के चुनाव हारने के बाद सोनिया भारत में नहीं रहना चाहती थीं। वह राजीव और बच्चों के साथ इटली वापस लौटना चाहती थीं। इस बात से परेशान कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने आपत्ति उठाई।

वास्तव में, वहां नाटकीय दृश्य बन गया था। सोनिया रोने लगीं और राजीव गांधी के राजनीति में आने के औपचारिक विचार को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘अरे नहीं! हे भगवान, नहीं!’ उन्होंने कहा कि वे तुम्हें मार देंगे, वे तुम्हें मार देंगे। तभी इंदिरा के आधिकारिक सचिव पीसी अलेक्जेंडर ने हस्तक्षेप किया। उत्तराधिकार का पहिया इंतजार नहीं कर सकता। राजीव को इसमें लाना जरूरी है और उन्होंने राजीव को बाहों में भर लिया।

प्रकाशक रोली बुक्स के शब्दों में, यह ‘भारतीय राजनीति के जटिल और खतरनाक दुनिया का सामना कर एक भोली युवा महिला की सच्ची कहानी है।’ इस कहानी में सोनिया को आज्ञाकारी बहू और वफादार पत्नी के रूप में दर्शाया गया है।

 

1 2
No more articles