कुछ अरसे पहले तक इस विधि का इस्तेमाल विदेश में ही संभव था। हरियाणा और पंजाब के पशु वैज्ञानिकों ने इसका सफलता पूर्वक इस्तेमाल कर इसे आम डेयरी फार्म के लिए उपयोगी साबित कर दिया। अब इस तकनीक का इस्तेमाल पशु वैज्ञानिकों के संरक्षण में लोग कहीं भी आसानी से कर सकते हैं। अच्छी नस्ल की गाय दो माह बाद दोबारा इस विधि के इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाती है। ऐसे में साल भर में एक गाय से 60 से 70 बच्चे तैयार किए जा सकते हैं। भ्रूण ज्यादा हो तो इसे फ्रीजिंग के जरिये सुरक्षित भी रखा जा सकता है जिसे बाद में इस्तेमाल किया जा सके।
एक हॉर्मोन इंजेक्शन के जरिये गायों की जनन क्षमता को बढ़ाकर गर्भाधान के जरिये भ्रूण विकसित किए जाते हैं। इन तैयार भ्रूणों को परखनली के जरिये सात दिन के बाद निकाला जाता है। फिर इन तैयार भ्रूण को आठ से 10 गायों के भ्रूण में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।