साइंटिस्ट डॉ फ्रेड फिशर और डॉ फ्रेड स्पाइस ने इस जहाज़ को 1962 में वेव हाइट, अकाउस्टिक सिग्नल्स, वाटर टेंपरेचर पर डाटा और रिसर्च के उद्देश्य से बनाया था। ऑपरेशन के लिए वर्टिकल पोजिशन में बदलने के कुछ सेकंड में ही यह स्टेबल हो जाता है।सीधा खड़ा होने पर पानी के बाहर इसकी लम्बाई 55 फीट रह जाती है और 300 फीट यह पानी के अंदर चला जाता है। यहां तक की 30 फीट ऊंची लहरों का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। फ्लिपिंग प्रक्रिया के दौरान क्रू के सभी सदस्य एक्स्टरनल डेक पर होते हैं। ट्रांसफर्मेशन के बाद दीवारें फर्श और फर्श दीवारें बन जाती हैं।