पीठ ने कहा कि महिला का आचरण इस तरह का है कि पुरुष के लिए इस तरह की क्रूरता सह पाना मुमकिन नहीं था।हाईकोर्ट ने इस बात को संज्ञान में लिया कि जनवरी 2004 में शादी हुई और महिला ने अप्रैल 2004 में अपनी ससुराल छोड़ दिया था और बाद में उसने अपने पति और उसके परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया।

जस्टिस प्रदीप नंदराजोग एवं जस्टिस प्रतिभा रानी की खंडपीठ ने अपने फैसले में ये टिप्पणियां कीं। पीठ ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसने क्रूरता के आधार पर शादी को तोड़ने की उसके पति की याचिका को स्वीकार करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी पति यह साबित करने में सफल रहा कि उनके हनीमून के दौरान पत्नी ने न केवल शादी होने का विरोध किया, बल्कि बाद में उसके और उसके पूरे परिवार के खिलाफ शर्मिंदा करने वाले और अपमानजनक आरोप लगाए।

 

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