मोदी ने कहा कि “चंपारण सत्याग्रह शताब्दी का वर्ष है। इतिहास किताबों में रहे तो समाज को प्रेरणा नहीं देता। हर युग में इतिहास को जानने और जीने का प्रयास जरूरी होता है। उस समय हम थे या नहीं थे? हमारे कुत्ते भी थे या नहीं थे?…औरों के कुत्ते हो सकते हैं…हम कुत्तों वाली परंपरा में पले-बढ़े नहीं हैं।”
मोदी ने कहा कि “देश के कोटि-कोटि लोग थे, जब कांग्रेस का जन्म भी नहीं हुआ था। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम इस देश के लोगों ने जान की बाजी लगाकर लड़ा था। सभी ने मिलकर लड़ा था। संप्रदाय की भेद-रेखा नहीं थी, तब भी कमल था, आज भी कमल है।”
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