परंतु अब जब उसे वो घर छोड़ना होता है तो वह बस यही सोचती रह जाती है कि वहां उसे कोई प्यार करेगा या नहीं? इसके अलावा भारत में तो आज भी अरेंज मैरेज की ही प्रधानता है। ऐसे में महिलाएं ना तो अपने होने वाले पति को समझ पाती हैं और ना ही उसके परिवार को। ऐसे में एडजस्टमेंट का सवाल उनके लिए बना ही रहता है। वही ससुराल के लोग कैसे होंगे, क्या वो लोग मुझे पसंद करेंगे ऐसे सवाल भी लड़की के दिमाग में चलते रहते है।
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