भाई कौन चाहता है मुफ्त में मुसीबत मोल लेना। इसलिए सलाम ठोंको और चलते बनो। हमारे यहां किसी भी पुलिस स्टेशन में बिना चढ़ावे के कोई काम नहीं होता और ना ही कोई सुनवाई होती है। कभी चाय- पानी के नाम पर तो कभी सुविधा शुल्क के नाम पर। मतलब वसूली तो होनी ही है, जेब ढीली होनी ही है।
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