पीड़िता के भाई और पिता जब टांडा थाने में रेप का केस दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस ने रेप की जगह दहेज़ उत्पीड़न में ही केस तब्दिल कर दर्ज कर लिया। बाद में जब पीड़िता की सुनवाई नही हुई तो पीड़िता पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी से मिली. तब पुलिस अधीक्षक ने रेप का केस दर्ज करने के आदेश दिए. अब पीड़िता के बयान के आधार पर रेप का मुकदमा दर्ज तो हो गया है लेकिन 3 महीने के बाद भी किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस ने गिरफ्तारी की बात तो दूर मामले में विवेचना भी शुरू नहीं की है। अब यह आलम है कि आरोपी खुलेआम पीड़िता के परिवार को हर दिन धमका रहे हैं। इसके साथ ही पीड़िता गर्भवती भी है और उसकी मांग है कि बच्चे का डीएनए टेस्ट किया जाए।
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