बक़ौल नीतू 30 अक्टूबर की शाम पति के साथ बड़ी सरधो गई और घर में दीया जलाकर लक्ष्मी पूजा की। वहां से अपना मायके अलीपुर (रजौन) जाने के लिए घर से पति के साथ स्कूटी से निकली। घर से आधे किमी की दूरी पर पत्थरा बहियार के पास चार युवकों ने चंदू भैया कहकर आवाज लगाई और हमलोगों की स्कूटी को रोका। चार में एक युवक चंदू को स्कूटी से उतार कर कुछ दूर ले गया। इसके बाद युवकों ने नीतू से कहा-भाभी आप यहां से भागिए।
 अंधेरा होने के कारण चारों युवकों में से किसी को पहचान नहीं पाई। चार में जिस एक व्यक्ति ने मेरे पति को पकड़ा था, उसने गमछा से मुंह ढंक लिया था। नीतू का कहना है कि चार-पांच दिन पहले गांव के किसी व्यक्ति से मेरे पति का झंझट हुआ था। किस वजह से झंझट हुअा था और वह कौन था, मैं नहीं जानती। चार हत्यारे में एक व्यक्ति विकलांग था। बाकी तीन हेल्दी और साधारण कद काठी का था। किस वजह से चंदू की हत्या हुई, नीतू ने यह नहीं बताया।
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