सुबह5.30 बजे फिर सुषमा को उठाया, लेकिन उसने कोई जवाब नही दिया। फिर हम मेरे घर गए और वहां से शॉल चादर लाए और सुषमा को ओढ़ा दी। हम भी कार में लेट गए। सुबह 7.30 बजे जब हम दोनों ने सुषमा को उटाया तो उसे शाल हटाकर देखा, लेकिन वह नही जागी। हमें लग गया कि वह मर चुकी है, क्योंकि उसकी सांसें और धड़कन नही चल रही थी। फिर हमने कुछ परिचितों को फोन किया और जानकारी दी।

द्वारकापुरी पुलिस के अनुसार महेश नगर में रहने वाली 35 वर्षीय सुषमा पिता नरेन्द्र अवस्थी की लाश कार (एमपी-09-सीटी-6979) में लेकर उसके दोस्त मनोज वाधवानी निवासी सुदामानगर और कैट निवासी जय किशन कुरील थाने पहुंचे। मनोज ने पुलिस को जैसे ही कार में लड़की की लाश है तो पुलिसवालों के भी होश उड़ गए। वे कार के पास पहुंचे और फिर पड़ताल के बाद कार जिला अस्पताल भिजवाई। मनोज कन्फेशनरी कारोबारी है और जय फैब्रीकेशन कारोबारी। जय के पिता केट में नौकरी करते हैं।

उन्होंने कहा कि थाने ले जाओ। हम दोनों काफी घबरा गए। आखिर में हम थाने पहुंचे। यहां पुलिस ने खासी पड़ताल की और 2.30 बजे लाश जिला अस्पताल भेजी। साथ ही सुषमा के घर वालों को भी जानकारी दी। सुषमा के घर वाले मुझे अच्छे से जानते हैं, उन्हें मुझसे कोई आपत्ति नही होगी। उधर, सूचना मिलते ही सुषमा की बहन शक्ती अपने मौसेरे भाई के साथ जिला अस्पताल पहुंची। रिश्तेदारों के अनुसार सुषमा के पिता नरेन्द्र अवस्थी रिटायर्ड फॉरेस्ट आफिसर हैं। बड़ी बहन शक्ती है। वे दोनों बहने पिता से अलग रहती है। दोनों पहले कंस्ट्रक्शन का काम करती थी।

 

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