जानकारों के मुताबिक अघोरपंथ से जुड़े लोग इस पक्षी की बलि देते हैं और तांत्रिकों के बहकावे में आकर आम लोग तंत्र क्रियाओं के लिए दिवाली पर उल्लू की मुंहमांगी कीमत देने को तैयार रहते हैं। वन अधिनियम के तहत उल्लुओं का शिकार करना दंडनीय अपराध है। इसके बाद भी पटना में उल्लुओं की खरीद-फरोख्त जारी है।
हिंदू मान्यता के अनुसार उल्लू धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है। पता नहीं कैसे तांत्रिकों, पंडितों ने इसमें यह भी जोड़ दिया कि लक्ष्मी अपने ही वाहन की बलि पसंद करती है। बस इसी कुप्रचार के कारण अब उल्लुओं की जान पर बन आई है। दीपावली की पूर्व संध्या पर हजारों उल्लुओं की बलि दी जाती है।
पक्षी विक्रेताओं के मुताबिक उल्लू बेचने का कारोबार बेहद पुराना है। लेकिन इसकी तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
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