इस वजह से उसने अंकिता का एडमिशन पटना के ही एक निजी आवासीय स्कूल में करवा दिया। इसके बाद भी अंकिता अपनी मां की शिकायत अन्य लोगों से किया करती थी। इसके बाद ललिता बेटी को रास्ते से हटाने की योजना बना ली और एक माह पहले उसे स्कूल से घर ले आई और बाद में झाड़-फूंक के बहाने उसे मसौढ़ी डीह के ओझा सुदामा पासवान के पास लेकर आई।
22 फरवरी की शाम राम प्रवेश उसे सोनकुकरा गांव के ओझा अनुज और भोला के घर ले आया। सुदामा पासवान के अलावा ललिता के साथ नसरतपुर गांव की ओझा कांतु देवी पहले से मौजूद थी। अंकिता को नशे की गोली खिलाने के बाद देर रात सरसों के खेत में ले गए और उसकी हत्या कर दी।
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