मंदिर प्रशासन के मुताबिक, हर साल यहां करीब 400 शादियां होती हैं। यानी शादियों के सीजन में रोजाना करीब 4-5 शादियां इस मंदिर में होती हैं। मंदिर के पुजारी और कोषाध्यक्ष हरी विनोद पंत ने बताया, ऐसे में विवाहित जोड़े का नाम और पता जांचना मुश्किल होता है।

इसी को देखते हुए मंदिर प्रशासन शादियों से पहले व्यक्ति की पहचान के लिए आधार कार्ड की मांग करेगा। आधार कार्ड के अलावा अन्य पहचान पत्रों, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेजों को पर्याप्त नहीं माना जाएगा।

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में शादी करने से विवाहित जोड़े पर गोलू देवता का आशीर्वाद रहता है। उन्हें कुमाऊं क्षेत्र में न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है।

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