आमतौर पर हिन्दू समुदाय के लोग मंदिरों में चढ़ावा के रूप में दान दक्षिणा करते हैं पैसे देते हैं समान भी चढ़ाते हैं। लेकिन एक ऐसा मंदिर भी जहां भगवान को प्रसन्न को करने के लिए लोग जूते चपलों की माला चढ़ाते हैं। दरअसल यह मंदिर कनार्टक के गुलबर्ग जिले में स्थित है। इस भव्य मंदिर में लकम्मा देवी विराजमान हैं। इस मंदिर में भक्त मां को खुश करने के लिए फूलों की माला में गुथी चप्पल की माला बांधते हैं। हर साल यहां फुटवियर फेस्टिवल का आयोजन होता है। जिसमें अलग-अलग गांवों से लोग चप्पल चढ़ाने आते हैं। हर साल ये दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है। लोग मन्नत मांगते हैं और पूरा होने के लिए मंदिर के बाहर के एक पेड़ पर चप्पलें टांगते हैं।
यहां के लोगो का मानना है कि चप्पल चढ़ाने से माता उनकी चढ़ाई गईं चप्पलों को पहनकर रात में घूमती हैं और बुरी शक्ति से उन्हें बचाती हैं। कहा जाता है कि पहले यहां बैलों की बलि दी जाती थी मगर जानवरों की बलि पर रोक के बाद से बलि देना बंद कर दिया गया था। इसे बंद करने के बाद से ही चप्पल की माला बांधने की परंपरा शुरू हो गई। ये त्योहार गांव में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दूर-दूर से लोग लकम्मा देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
लोग मन्नत मांगते हैं उसे उसके पूरा होने के लिए मंदिर के बाहर के एक पेड़ पर आकर पूरी भाव भक्ति से चप्पलें टांगते हैं। इतना ही नहीं लोग इस दौरान भगवान को शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का भोग भी लगाते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह चप्पल चढ़ाने से ईश्वर उनकी बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं। मान्यता ये भी है कि इससे पैरों और घुटनों का दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है। इस मंदिर में हिन्दू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी आते हैं।