बांग्लादेश की लड़की को भारत में सेक्स स्लेव की तरह रखा गया, पढ़िए पूरी आपबीती , बिलासपुर में ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स ट्रेन से बांग्लादेशी लड़की को कोलकाता बेचने ले जा रहे युवक को आरपीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद सुरक्षा के मद्देनजर लड़की को उज्ज्वला बालिका संप्रेक्षण गृह को सौंप दिया गया। युवक को जीआरपी के हवाले किया जाएगा। आरपीएफ के अनुसार मामला एक जुलाई का है। 12101 डाउन ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस में रायपुर आरपीएफ पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी। इसी दौरान प्रधान आरक्षक डीवी दुबे को शाम 5.35 बजे ट्रेन में ही सफर कर रहे 35 बटालियन कोयलीबेडा कांकेर बीएसएफ के जवान एम कुमार ने जानकारी दी कि कोच नंबर 8 में एक युवक लड़की को जबरदस्ती अपने साथ बेचने लेकर जा रहा है। इस जानकारी के बाद प्रधान आरक्षक मौके पर पहुंचे।
आरपीएफ के अनुसार लड़की के पते पर संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस से मामले की जानकारी ली गई। वहां के थाने का नंबर इंटरनेट के माध्यम से पता किया गया। वहां के थाना प्रभारी से जानकारी मिली है कि लड़की को एक युवक काम दिलाने के नाम पर भारत ले गया है। इसकी जानकारी लड़की के परिजन ने दी थी। इस प्रकरण को लेकर दो दिन से आरपीएफ व शासकीय रेलवे पुलिस के बीच चर्चा का दौर जारी है। सोमवार को भी यही सिलसिला चलता रहा। रेलवे आरपीएफ के सीनियर डीएससी भवानी शंकर नाथ भी पोस्ट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने भी लड़की से प्रकरण के संबंध में विस्तार से जानकारी ली। इसके अलावा शासकीय रेलवे पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर पुलिस अधीक्षक समेत उच्च अधिकारियों से चर्चा की गई।
पहचान होने पर लड़की से पूछताछ की गई। इस पर उसने बताया कि उसे बेचने के लिए कुछ लोग मुंबई लेकर गए थे। लेकिन सौदा नहीं होने की स्थिति में उसे इस युवक के साथ कल्याण स्टेशन से कोलकाता भेजा जा रहा है। युवक से पूछताछ करने पर उसने अपना नाम सेंटू शेख पिता मुर्ताहार शेख निवासी उत्तर गोपी नाथपुर थाना खड़ग्राम जिला मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल बताया। नुरूशेख नाम के एक लड़के ने उसे इस लड़की को कल्याण में सौंपा है। मामला संदिग्ध होने की स्थिति में प्रधान आरक्षक ने बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंचकर आरपीएफ पोस्ट को जानकारी दी। पोस्ट प्रभारी ने इस मामले की सूचना जीआरपी बिलासपुर को दी, लेकिन थाने से यह कह दिया गया कि घटना के संबंध में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
मामले की हकीकत जानने के लिए लड़की से पूछताछ की गई। लेकिन उसे हिंदी नहीं आती थी। लिहाजा ऐसी स्थिति में जीआरपी प्रधान आरक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती व आरपीएफ के एसएसआई एजेड चौधरी ने बांग्ला में उससे जानकारी ली।उसने अपने आपको बांग्लादेश की रहने वाली बताया। डेढ़ महीने पहले काम दिलाने के नाम उसे कलाम नामक व्यक्ति ने भारत लाकर दलालों के हाथों बेच दिया। दिल्ली, सूरत, मुंबई समेत अलग- अलग शहरों में अलग- अलग हाथों बेचा गया।